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Nirjala Ekadashi Vrat Katha 2025

निर्जला एकादशी व्रत की विशेषताएं

  • इस दिन जल भी नहीं पिया जाता, इसलिए इसका नाम "निर्जला" पड़ा।

  • यह वर्ष की सर्वोच्च पुण्यदायिनी एकादशी मानी जाती है।

  • व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • जो भक्त सभी एकादशियों का पालन नहीं कर पाते, वे केवल इस एक एकादशी का पालन कर सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

     

    व्रत विधि (संक्षेप में)

  • व्रत से एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें।

  • एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

  • दिनभर अन्न व जल ग्रहण न करें।

  • भगवान विष्णु की पूजा करें – तुलसी, पीले फूल, दीप, भोग आदि अर्पित करें।

  • रात को जागरण करें और भगवान विष्णु का नाम जपें।

  • अगले दिन द्वादशी को व्रत का उद्यापन कर ब्राह्मण या ज़रूरतमंद को दान दें और भोजन कर व्रत पूर्ण करें।

     

    इस व्रत का महत्व

  • यह एकादशी पापों के विनाश और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।

  • जो भक्त साल भर एकादशी नहीं रख पाते, वे सिर्फ यह व्रत करके संपूर्ण पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

  • यह व्रत बहुत कठिन होता है क्योंकि इसमें पानी तक नहीं पिया जाता। 

 

 निर्जला एकादशी व्रत कथा (निर्जल एकादशी की पौराणिक कथा)

निर्जला एकादशी हिन्दू धर्म की सबसे कठिन और पुण्यदायिनी एकादशी मानी जाती है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला पालन पांडवों में भीम ने किया था।

 

Nirjala Ekadashi Vrat Katha 2025

 व्रत कथा का सार

महाभारत काल में पांडवों में भीमसेन बलशाली और अन्नप्रिय थे। धर्म का पालन करने के लिए युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल और सहदेव सभी एकादशी व्रत करते थे, लेकिन भीम को व्रत रखना कठिन लगता था क्योंकि वे भोजन के बिना रह नहीं पाते थे।

भीम ने इस विषय में महर्षि वेदव्यास से पूछा:

"हे मुनिवर! मैं एकादशी व्रत नहीं रख पाता। परंतु मैं चाहता हूँ कि मुझे भी सभी एकादशियों का फल प्राप्त हो। कृपया कोई सरल उपाय बताइए।"

व्यास जी बोले:

"हे भीम! यदि तुम वर्ष भर की सभी एकादशियों का फल एक ही दिन में प्राप्त करना चाहते हो, तो ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी का निर्जल व्रत करो। इस दिन जल भी नहीं पिया जाता, केवल भगवान विष्णु की भक्ति की जाती है। इस व्रत को करने से सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।"

यह व्रत सुनकर भीम आश्चर्यचकित हो गए लेकिन उन्होंने साहस कर यह कठिन व्रत किया। उन्होंने दिनभर ना अन्न खाया, ना जल ग्रहण किया और पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें वर्ष की सभी एकादशियों का फल मिलेगा।

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7 जून को क्या मनाया जाता हैं?

विष्णु पूजा में फूल फलों ओर पत्तों का उपयोग होता है जो समृद्धि और सुख लाते है जिसको निर्जला एकादशी कहते है
इस वर्ष यह पवित्र व्रत 6 और 7 जून को मनाया जा रहा है


 

 

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